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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 36 
मीना को अहसास हो गया था कि उसने हीरेन को अकेला छोड़कर बहुत बड़ी गलती कर दी थी । यदि वह साथ होती तो वह घटना नहीं घटती । यह तो भगवान की कृपा थी जो हीरेन के लोग वहां आ गये और हीरेन को बस मामूली सी चोट ही लगी थी वरना .... इससे आगे वह सोच नहीं सकती थी । उसका कलेजा मुंह को आ गया और उसकी रुलाई फूट पड़ी । हीरेन ने उसे खूब समझाया कि जो नहीं हुआ उसके बारे में सोच सोचकर परेशान क्यों होना ? मगर दिल है कि मानता नहीं । 

अब आगे से उसने तय कर लिया था कि जिस तरह सत्यवान के साथ सावित्री हर पल रहती थी और वह सत्यवान को साक्षात यमराज से भी छीन लाई थी , उसी तरह वह भी अब सदैव हीरेन के साथ ही रहेगी और उसकी सारी अलाऐं, बलाऐं अपने ऊपर ले लेगी । उसे यह भी पता था कि इस बात के लिए हीरेन बिल्कुल तैयार नहीं होगा पर उसके पास एक ब्रह्मास्त्र है , उसी का प्रयोग करेगी वह । उस ब्रह्मास्त्र का नाम "त्रियाहठ" रखा है ज्ञानियों ने । यह बात हीरेन को अच्छी लगे या नहीं, पर वह इसे करके रहेगी । वह उसकी ढाल बनकर सदैव उसके साथ चलेगी । हीरेन को इसमें  आपत्ति हो तो हो । इस विषय पर वह किसी की भी नहीं सुनेगी । 

अगले दिन रोजाना की तरह अदालत नियत समय पर लगी । रोजाना की तरह हीरेन भी अपनी लंबी जुल्फें, खूब सारे पान और सीटी की आवाज में गानों के साथ अदालत पहुंच गया । ये मीना की "किस थेरैपी" का ही चमत्कार था कि एक ही रात में हीरेन चंगा हो गया था । "किस थेरेपी" का चमत्कार लोगों ने देख लिया था । उसकी "टिप्स" के लिए लोग मीना के चारों ओर एकत्र हो गये । "किस थेरेपी" से मीना भी एक ही रात में "सेलेब्रिटी" बन गई । मीना ने एक बार फिर से बता दिया कि स्त्री की शक्ति अनंत है । वह यदि ठान ले तो क्या नहीं कर सकती है ? 

हीरेन मुस्कुरा कर मंगल सिंह और नीलमणी त्रिपाठी को देख रहा था । वह ऐसा जानबूझकर कर रहा था जिससे वे उसे देख देखकर चिढते रहें । उन दोनों को कतई उम्मीद नहीं थी कि हीरेन आज अदालत आ पाएगा । उन्होंने तो सोचा था कि हीरेन किसी अस्पताल के हड्डी वार्ड में पड़ा पड़ा कराह रहा होगा । हीरेन को देखकर वे दोनों चौंक गये थे और आंखें फाड़ फाड़कर उसे देख रहे थे । हीरेन उनकी ओर देखकर अपनी बांयी आंख दबा देता था और अपनी तिरछी मुस्कान जिसके लिए वह प्रसिद्ध था, उछाल देता था । हीरेन की इस हरकत से दोनों षड्यंत्रकारी जल भुन जाते थे । फिर हीरेन खिलखिलाती हंसी का ऐसा वार करता था कि वे दोनों अंदर तक कट जाते थे । उनको घायल देखकर हीरेन को बहुत आनंद आ रहा था । आज उसे मरने की भी चिंता नहीं थी । उसके साथ मीना जो थी । एक तरह से उसका कवच बनकर उसकी रक्षा कर रही थी मीना । 

दरबान ने जज साहब के डायस पर आने की घोषणा कर दी थी । सब लोग अपनी अपनी जगहों पर खड़े हो गये । जज साहब एक निगाह उपस्थित दर्शकों पर डालते हुए अपनी सीट पर बैठ गये और कार्यवाही प्रारंभ करने का आदेश दे दिया । 

हीरेन ने अपने चांदी के पानदान से एक औरंगाबादी "कोहिनूर पान" निकाला और जज साहब को देते हुए बोला "मी लॉर्ड, यह औरंगाबाद का कोहिनूर पान है जो केवल औरंगाबाद में ही पैदा होता है और यह पान विश्व में सबसे मंहगे पान के रूप में जाना जाता है । इस पान की कीमत केवल 5000 हजार रुपया है । इसे "शाही" पान भी कहते हैं । कहते हैं कि "पटियाला महाराज" को यह पान बहुत पसंद था । उन दिनों में इस पान के लिए वे एक बग्घी रोजाना औरंगाबाद भेजा करते थे । वह बग्घी औरंगाबाद जाकर यह कोहिनूर पान लाती थी तब जाकर महाराज पटियाला को चैन आता था । रत्नों में जो स्थान "कोहिनूर" हीरे का है वही स्थान पानों में "कोहिनूर" पान का है । आप भी ऐसे बेमिसाल पान का आनंद लीजिए" । 

ऐसी नायाब चीज जिसे पाने के लिए महाराज पटियाला रोज अपनी बग्घी औरंगाबाद भेजते थे , वही चीज जब "मुफ्त" में घर बैठे मिल रही हो तो उसका आनंद चौगुना हो जाता है । जज साहब "कोहिनूर" पान पाकर ऐसे मगन हो गये जैसे उन्होंने स्वर्ग लोक पा लिया हो । उस पान का स्वाद बिल्कुल अलग था "अवर्णनीय" । 

हीरेन ने जज साहब से कहा "योर ऑनर, आज चाबी बनाने वाला रत्तीराम इस अदालत में उपस्थित है । मैं उसके बयान दर्ज कराना चाहता हूं । इसकी मुझे अनुमति दी जाए" । जज साहब ने अनुमति दे दी । 

रत्तीराम विटनेस बॉक्स में आ गया और गीता की शपथ लेकर गवाही के लिए तैयार हो गया ।
"आपका नाम" 
"रत्तीराम बैरवा" 
"क्या काम करते हो" ? 
"तालों की चाबियां बनाता हूं हुजूर" 
"तालों की चाबियां कैसे बनाते हो" ? 
"तीन तरह से बनाता हूं हुजूर । एक तो ताले से ही । यदि कोई आदमी अपने साथ ताला ले आता है तो मैं उसे देखकर उसकी चाबी बना देता हूं । दूसरा चाबी से चाबी बना देता हूं । और तीसरा , यदि कोई आदमी ना तो ताला लाए और ना चाबी लाए , केवल चाबी की नाप साबुन पर ले आये तो मैं उससे भी चाबी बना देता हूं" । 
"बहुत अच्छे रत्तीराम जी । बहुत बढिया काम करते हो । जिन तालों की चाबियां खो जाती हैं उनकी डुप्लीकेट चाबी बनाकर ताले को कबाड़ होने से बचा लेते हो । आप उन सज्जन को जानते हैं क्या जो पुलिस की वर्दी में वहां खड़े हैं" ? हीरेन ने होशियार सिंह की ओर इशारा करते हुए पूछा 
"लो कल्लो बात ! पुलिस तो माई बाप होती है हुजूर, पुलिस को हम नहीं जानेंगे तो फिर अपना धंधा कैसे कर पायेंगे ? ये तो होशियार सिंह जी हैं , थानेदार साहब मंगल सिंह जी के सिपाही । इनको कौन नहीं जानता है यहां" ? रत्तीराम होशियार सिंह को पहचान गया था । 
"कैसे जानते हो इन्हें" ? 
"चाबी बनवाने आते रहते हैं ये मेरे पास । इनकी चाबी अक्सर खोती रहती है इसलिए ये अक्सर आते ही रहते हैं" 
"अच्छा ये बताओ कि क्या होशियार सिंह जी कभी आपके पास एक साबुन पर छपी चाबी की नाप लेकर आये थे" ? रत्तीराम बोला "आये थे । उस साबुन के दोनों ओर दो चाबियों की नाप छपी थी । उसी नाप से मैंने वे दोनों चाबियां बना दी थीं" । 

हीरेन ने रत्तीराम को "पीयर्स" साबुन दिखला कर पूछा "क्या वह साबुन ऐसा था" ? 
"जी माई बाप । बिल्कुल ऐसा ही था वह साबुन" । 

रत्तीराम की गवाही से यह सिद्ध हो गया था कि थानेदार मंगल सिंह ने अनुपमा के घर और अक्षत के कमरे की चाबी रत्तीराम से बनवाई थी । वह अनुपमा के बाथरूम से गीला साबुन उठा ले गया था । घर का मुआयना करने के नाम पर उसने लिविंग रूम में टंगी घर की चाबी की छाप गीले साबुन पर एक ओर ले ली थी । उसके बाद जब वह अक्षत के कमरे का मुआयना कर रहा था तब वहां रखी कमरे की चाबी की छाप उसने साबुन की दूसरी तरफ ले ली थी । उस साबुन को होशियार सिंह के हाथ भेजकर मंगल सिंह ने दोनों चाबियां बनवा ली थीं । अब वह अनुपमा के घर में जब चाहे घुस सकता था । 

हीरेन अभी रत्तीराम से पूछताछ करके आगे की बहस करने ही वाला था कि उसके असिस्टेंट्स समीर की पत्नी मंजू देवी को अदालत में ले आये थे । हीरेन जज साहब से बोला 
"योर ऑनर । इस केस में समीर एक अहम किरदार है । समीर ने अनुपमा की पेन्टिंग्स की वह एल्बम देखने के लिए विकास से ले ली थी । और इत्तेफाक देखिए मी लॉर्ड कि लगभग तभी से वह गायब है । समीर कहां गया , किसी को कुछ पता नहीं है । इस संबंध में समीर की पत्नी मंजू देवी ही अदालत को कुछ बता सकती हैं । अत: उसकी पत्नी मंजू देवी से पूछताछ करनी बहुत आवश्यक है । मुझे इसकी अनुमति दी जाए, योर ऑनर । हीरेन को मंजू देवी से पूछताछ करने की अनुमति दे दी गई । 

"आपका नाम" ? 
"मंजू देवी" 
"आपके पति का नाम" ? 
इस सवाल पर मंजू देवी खामोश हो गईं । तब हीरेन बोला 
"अदालत को अपने पति का नाम बताइए । इसमें क्या शरमाना" ?
"पति का नाम क्या बताऊं जज साहब ? मेरे लिए तो मेरा पति समझो बहुत पहले ही मर गया था" । मंजू देवी गुस्से और क्षोभ से बोली 
"ऐसा क्यों कह रही हो ? क्या किया था आपके पति ने जो आप उसे मरा हुआ बता रही हैं" ? 
"ये पूछो कि क्या नहीं किया उसने ? पूरा जल्लाद था समीर । पैसे लेकर इंसानों को मारता था वह । अब आप ही बताइए कि ये कोई अच्छा काम है क्या ? घर तो आता ही नहीं था सालों तक । मैं तो उसकी सूरत देखने के लिए तरस जाती थी । उसने दिल्ली में ही एक "छिनाल" जिसका नाम रेखा है, कर रखी थी , उसी के यहां पड़ा रहता था कुत्ते की तरह" । 
घृणा से उसने मुंह सिकोड़कर कहा । अब समझ में आया कि मंजू देवी के गुस्से का कारण क्या है ? हीरेन ने राहुल की लाश का फोटो दिखाते हुए पूछा "यह है क्या आपका पति समीर" ? 

मंजू देवी ने उस फोटो को बहुत गौर से देखा और कहा "इसका चेहरा चाकुओं से इतना गुदा हुआ है कि इसे पहचान पाना बहुत कठिन है । वैसे भी उसे देखे हुए मुझे कई साल हो गये हैं । इसलिए यह आदमी पहचान में नहीं आ रहा है । क्यों , क्या कहीं मर गया है वह कुत्ता" ? मंजू देवी गुस्से से उबल पड़ी । मंजू देवी के इस तरह से अपशब्द कहने से सब लोग सकते में आ गये । जज साहब को भी गुस्सा आ गया । उन्होंने डांटते हुए कहा 
"ये अदालत है मैडम, जरा तमीज से बात करो । अपने पति को कुत्ता कहते हुए तुम्हें जरा भी लज्जा नहीं आती" ? 

मंजू देवी भी इतनी भरी हुई थी कि वह अदालत में ही बिफर गई और कहने लगी " कुत्ते को कुत्ता ना कहें तो और क्या कहें जज साहब ? आदमी इंसान के घर पैदा हो जाने मात्र से ही इंसान नहीं हो जाता है । उसे इंसानों जैसे काम करने पड़ते हैं तब जाकर वह इंसान कहलाता है । रोटी तो कुत्ता भी खाता है और गली की कुतियाओं के पीछे पीछे भी डोलता है । जो आदमी ऐसा काम करे तो उसमें और कुत्ते में क्या अंतर है जज साहब ? समीर ने एक भी काम इंसानों जैसा नहीं किया । पैसे के आगे पीछे कुत्ते की तरह दुम हिलाता था । उसे सिर्फ पैसों से मुहब्बत थी और किसी से नहीं । पैसे लेकर हर किसी को "टपका" डालता था वह । मैं उसे जब जब भी समझाती , तब तब वह मेरी खाल खींच लेता था । मुझ जैसी बीवी को छोड़कर शहर की "छिनालों" के पीछे पीछे कुत्ते की तरह लार टपकाता हुआ चलता था वह । उसे नित नई लुगाई चाहिए थी जज साहब,  जैसे कुत्ते को रोज रोज नई कुतिया चाहिए । तो फिर उसे कुत्ता क्यों न कहूं जज साहब" ? मंजू देवी का चेहरा तमतमा गया था । उसका रौद्र रूप देखकर एक बार सभी लोग सहम गये थे । वह आगे बोली 
"समीर जैसे लोग बोझ हैं धरती पर । उसकी इन हरकतों से मैं तंग आ गई थी और मैं अपने बेटे शलभ के साथ मायके रहने लगी थी । समीर ने न पति होने का फर्ज निभाया और न ही पिता का धर्म निभाया । मेरे लिए तो वह मरे के समान ही था । जिंदा रहकर जो आदमी आपके काम नहीं आये तो उसका जिंदा रहने से क्या लाभ ? अब वास्तव में वह मर गया है क्या" ? 
उसके इस तरह से कहने पर सब लोग सकते में आ गए । कोई औरत अपने पति के बारे में जब ऐसा कहती है तो समझ लेना चाहिए कि उसने कितना दर्द झेला होगा वरना अपने पति के मरने की कामना कौन औरत करती है ? सब लोगों को मंजू देवी से हमदर्दी हो गई थी । लोग उसके दर्द को समझ रहे थे । हीरेन ने आगे बोलना शुरू किया 

"योर ऑनर, समीर अय्याश किस्म का आदमी था । उसे रोज रोज नई नई लड़कियां चाहिए थी । पहले तो वह हर किसी लड़की के पास चला जाता था । बाद में उसे रेखा नाम की एक "कॉल गर्ल" पसंद आ गई और फिर उसने इधर उधर "मुंह मारना" बंद कर दिया । रेखा भी उससे प्यार करने लगी थी । समीर से रेखा के एक लड़का भी पैदा हो गया था । समीर रेखा के साथ ही रहने लगा था । सुपारी लेकर मर्डर करता था और बदले में मोटी रकम लेता था । इसलिए उसके पास खूब सारा पैसा इकठ्ठा हो गया था जिसे वह रेखा और उसके लड़के नीटू पर खुले दिल से लुटाता था । इस केस के बारे में रेखा बहुत कुछ बता सकती है योर ऑनर।  इसलिए अब मैं रेखा को विटनेस बॉक्स में बुलाने की इजाजत चाहता हूं योर ऑनर" । हीरैन समीर के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए बोला । जज साहब ने रेखा से पूछताछ करने की अनुमति दे दी । 

"आपका नाम" 
"रेखा" 
"समीर को कब से जानती हो" ? 
"यही कोई पांच साल से" 
"कैसे जानती हो" ? 
"मैं कॉल गर्ल का काम करती थी पहले । तब और लोगों के अलावा समीर भी आता था मेरे पास । हमारा धंधा ही कुछ ऐसा था कि सभी तरह के लोग आते थे मेरे पास । अमीर, गरीब , अनपढ , पढे लिखे । अपराधी और इज्जतदार भी । औरत के जिस्म की ख्वाहिश हर मर्द को होती है जज साहब । समीर को भी थी । पहले तो वह कभी कभी ही आता था मेरे पास । लेकिन बाद में शायद उसे मुझसे इश्क हो गया था इसलिए रोज रोज आने लगा था वह" । 
"फिर क्या हुआ" ? 
"फिर एक दिन वह बोला 'रेखा, मैं तुझे दिलोजान से चाहता हूं । मैं तेरे बिना जी नहीं सकता हूं । मेरी एक ख्वाहिश है यदि तू पूरी कर दे' ? मैंने कहा कि यदि मैं कर सकती हूं तो जरूर करूंगी । तब उसने कहा 'तू सदा के लिए मेरी हो जा । बस, यही ख्वाहिश है' । उसके ऐसा कहने से मेरी आंखों से आंसू बहने लगे जज साहब और मैंने भगवान को लाख लाख धन्यवाद दिया कि आखिर उसने मेरे लिए एक तारणहार भेज ही दिया । कौन ऐसी लड़की है जो कॉल गर्ल का काम करना चाहती है ? मैं भी नहीं करना चाहती थी लेकिन मजबूरी सब काम करा देती है । जब समीर ने मेरे साथ रहने की इच्छा जताई तो मैंने उस दिन भगवान को प्रसाद चढाया था । उस दिन हमने दीवाली मनाई थी । बस, उसी दिन से मैंने अपना धंधा बंद कर दिया और मैं समीर के साथ एक पत्नी की तरह से रहने लगी थी । हालांकि हमारा विवाह हुआ नहीं था फिर भी मैं लिव इन में रहने लगी थी । उससे मुझे एक बच्चा भी हुआ है जज साहब" वह अपने पास बैठे बच्चे को दिखाते हुए बोली 

एक ही आदमी के लिए दो औरतों के विचार कितने अलग अलग थे । जिस औरत का समीर पति था उस औरत के मन में उसके लिए घृणा , क्षोभ , क्रोध , तिरस्कार सब कुछ था । वहीं एक दूसरी औरत जो उसकी ब्याहता भी नहीं थी , उसके लिए वही समीर एक "तारणहार" बन गया था । किसी ने सच ही कहा है कि एक ही आदमी किसी के लिए देवता हो जाता है तो किसी के लिए वह दानव बन जाता है । "इंसान के न जाने कितने रूप होते हैं" । समीर ने इस बात को सिद्ध कर दिया था । 

हीरेन रेखा को सोने का बटन जो अनुपमा के घर के पिछवाड़े से मिला था , दिखाते हुए बोला "इस बटन को पहचानती हो क्या" ? 
रेखा उस बटन को देखते ही पहचान गई और कहने लगी "खूब पहचानती हूं जज साहब । यह बटन समीर की शर्ट में लगा था" 
"समीर की शर्ट में यह बटन कैसे आया" ? 
"इसकी भी एक लंबी कहानी है जज साहब । जब मैं पहले धंधा करती थी तब मेरे पास सभी तरह के ग्राहक आया करते थे । उनमें समीर भी था । एक सेठ और आता था । मैं उसका नाम यहां बताकर उसकी इज्ज़त खराब नहीं करूंगी । उसे अपनी शर्ट में सोने के बटन लगवाने का बहुत शौक था । उसकी हर शर्ट में सोने के बटन लगे होते थे । एक दिन शर्ट खोलते समय एक बटन शायद टूटकर गिर गया था । दूसरे दिन जब वह मेरे पास आया तो मैंने उसे वह सोने का बटन वापस कर दिया । इस बात से वह इतना खुश हुआ कि उसने वह बटन मुझे उपहार में दे दिया । मैंने वह बटन लेकर रख लिया । जब मैं समीर के साथ रहने लगी तो वह बटन मैंने समीर के बर्थ डे पर उसे उपहार में दे दिया । इससे समीर बहुत खुश हुआ और उसने वह बटन अपनी शर्ट में लगाने को कहा । मैंने वह बटन उसकी शर्ट में लगा दिया । वह इस बटन को बहुत लकी मानता था । जब भी वह किसी का मर्डर करने जाता था तब वह सोने के बटन वाली शर्ट पहन कर जाता था । वह कहता था कि जिस दिन वह सोने के बटन वाली शर्ट पहनकर मर्डर करता था तो वह केस पुलिस पकड़ नहीं पाती थी । यह वही बटन है जिसे मैंने समीर को उपहार में दिया था और जो उसकी शर्ट पर लगा दिया था । आपको यह बटन कहां से मिला" ? रेखा ने हीरेन से पूछा 

रेखा की बातों से अदालत सन्न रह गई थी । एक कॉल गर्ल की जिंदगी कैसी होती है , रेखा की कहानी सुनकर अंदाज लगाया जा सकता है । कॉल गर्ल को समाज में बड़ी हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है । औरतें तो उन्हें समाज में एक बदनुमा दाग मानती हैं क्योंकि उनका मानना है कि हर कॉल गर्ल किसी न किसी औरत का घर बरबाद करती है । इसलिए औरतों के मन में कॉल गर्ल के लिए तिरस्कार के भाव होना स्वाभाविक है पर आश्चर्य तो तब होता है कि जो पुरुष एक कॉल गर्ल का सामीप्य पाकर "जन्नत" की सैर करता है वही पुरुष उसे "चरित्र हीन" , "बिकाऊ" , "भाड़े की लुगाई" और न जाने कैसे कैसे विशेषणों से नवाजता है । वह खुद को कभी चरित्र हीन और लंपट नहीं समझता मगर कॉल गर्ल्स को "बाजारू औरत" कहकर उनका सार्वजनिक उपहास उड़ाता है । जिनसे मर्द शारीरिक सुख प्राप्त करता है उन्हीं को "गंदी नाली का कीड़ा" कहने में वह बहुत गर्व महसूस करता है । समाज में ऐसी अनेक विसंगतियां भरी पड़ी हैं । रेखा की कहानी सुनकर सब लोगों की सुहानुभूति उसके साथ हो गई । ऐसा नहीं है कि लोगों के मन में मंजू देवी के लिए कम सम्मान हो ? दोनों के लिए सबके मन में आदर सम्मान के भाव थे । 

हीरेन ने उसको लाश का फोटो दिखाते हुए पूछा "क्या आप इन्हें पहचानती हैं" ? 
रेखा वह फोटो देखकर घबरा गई । उसने इतना विकृत चेहरा पहले कभी नहीं देखा था इसलिए उसके मुंह से एक चीख निकल गई । बहुत देर तक फोटो देखने के बाद उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वह फूट फूटकर रोने लगी । हीरेन ने उसे विटनेस बॉक्स में ही बैठा दिया और उसके लिए एक गिलास पानी मंगवाया । मीना उसके लिए पानी ले आई  । रेखा ने पानी पिया और फिर से रोने लगी । रोते रोते ही कहने लगी "मुझे अकेला छोड़कर कहां चले गये तुम । मुझे भी साथ ले जाते तो मेरा भी कल्याण हो जाता । अब मैं अकेली कैसे जिऊंगी ? नीटू को अनाथ छोड़कर कैसे चले गये आप" ? रेखा जोर जोर से रोने लगी । अब सबको समझ में आ गया था कि वह लाश राहुल की नहीं समीर की ही थी । जज साहब भी समझ रहे थे कि वह लाश समीर की थी न कि राहुल की । फिर राहुल का आधार कार्ड वहां से कैसे मिला ? क्या समीर का कत्ल राहुल ने किया है ? 

अब प्रश्नों की एक नई श्रंखला शुरू हो गई  थी । बात आगे बढती इससे पहले ही सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी खड़े हुए और जज साहब से कहने लगे । 

(शेष अगले अंक में) 

श्री हरि 
24.6.23 


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3 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:25 AM

शानदार भाग

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Abhinav ji

27-Jun-2023 08:45 AM

Har part me alag twist .. very nice 👍👍👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Jun-2023 03:03 PM

बहुत बहुत आभार आपका 🙏🙏

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